Siddharth Jain
वास्तु शास्त्र में उल्लेख है केि प्राकृतिक रूप से यदि भूमि की आठ दिशाओं का परिमाण सम और चौरस हो तो वह भूमि उत्तम है।
जमीन में छोटा सा गड्डा करके मिट्टी निकालकर उसे सुघना चाहिए। यदि सूघने पर तली हुई चीजों के समान बास आती है तो वह जमीन उत्तम है।
जो भूमि बोये हुए बीजों की तीन दिन में उगाने वाली, सम चौरस, दीमक रहित बिना फटी हुई शल्य रहित और जिसमें पानी का प्रवाह पूर्व ईशान या उत्तर तरफ जाता हो ऐसी भूमि सुख देने वाली है।
सफेद वर्ण की भूमि ब्राह्मणों को, लाल वर्ण की भूमि क्षत्रियो को , पीले वर्ष की भूमि वैश्यों को और काले वर्ण की भूमि शुद्रों को, इस प्रकार अपने वर्ण के सद्दश रंगवाली भूमि सुखकारक होती है।